18.9.21

Class 10 Hindi Unit test Paper Questions Answers

Class 10 Hindi Unit test Paper Questions Answers

 

Class 10 Hindi Unit test Paper Questions Answers: Here you'll get solved Questions Answers for class 10 1st Unit test.


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1. (क) प्रसाद जी द्वारा विरचित दो महाकाव्य का नाम लिखो।

उत्तर: 'लहर' और 'कामायनी'।



(ख) लड़का जादूगर को क्या समझता था ?

उत्तर: लड़का जादूगर को निकम्मा समझता था।



(ग) 'कबीर' शब्द का अर्थ क्या है ?

उत्तर: 'कबीर' शब्द का अर्थ है बड़ा, महान और श्रेष्ठ



(घ) पठित निबंध में 'सुंदर इमारत' का आशय क्या है?

उत्तर: नया सुंदर समाज।


(ङ) नरेश मेहता के प्रसिद्ध उपन्यास का नाम क्या था ?

उत्तर: वह पथ बंधु था ।


(च) मीराबाई के कृष्ण भक्तिपरक पद किस नाम से प्रोचोलिट है?

उत्तर: मीराबाई की पदावली ।


(छ) कबीरदास के अनुसार प्रेमहीन शरीर कैसा होता है ?

उत्तर: श्मशान की तरह।



2. (क) 'सत गुरु' की महिमा के बारे में कवि ने क्या कहा है ?

उत्तर: सतगुरु की महिमा के बारे में कवि ने कहा है कि गुरु की महिमा अनंत व अपार है। शिष्य जिस बात से अनजान थे, जिस असत्य को सत्य मानकर अंधेरे में जी रहे थे उस अंधेरे को हटाकर ज्ञान का प्रकाश दिलाना ही गुरु का दायित्व है। अर्थात शिष्यो को सही मार्ग और ज्ञानी बनाना गुरु का कर्तव्य है।



(ख) पुरुषार्थ को सबसे बड़ा देवत्व क्यों कहा गया है ?

उत्तर: पुरुषार्थ का अर्थ है उद्योग, यानी मनुष्य द्वारा वस्तु निर्माण करने का कार्य। मनुष्य अपने परिश्रम के बल पर बड़े से बड़े कार्य आसानी से कर लेते हैं। पुरुषार्थ से मिट्टी को भी कई रूप देकर सोना बनाया जा सकता है। पुरुषार्थ के बल पर असंभव कार्य भी संभव किया जा सकता है। तथा ईश्वर को भी पाया जा सकता है। इसीलिए पुरुषार्थ को सबसे बड़ा देवत्व कहा गया है।



(ग) कंगूरे की ईंट की भूमिका स्पष्ट करो।

उत्तर: कंगूरे की ईंट बरबस लोक-लोचनों को अपनी ओर आकृष्ट करती है। वह इमारत को सुंदरता देती है। कंगूरे की चमक देख कर ही सुंदरता देख कर ही लोग इमारत की सुंदरता का बखान करते हैं।



(घ) छोटे जादूगर और उसकी मांँ के साथ श्रीमान की अंतिम भेंट का अपने शब्दों में वर्णन करो।

उत्तर: श्रीमान ने छोटे जादूगर को दुखी होता हुआ देखा। कारण पूछने पर उसने कहा कि उसकी मांँ की तबीयत बहुत खराब है। वह मौत की अंतिम सांँसे गिन रही है। छोटे जादूगर के बातों को सुन श्रीमान ने उसे अपने गाड़ी में बिठाया और उसके झोपड़ी तक ले गया। गाड़ी से उतरते ही छोटे जादूगर दौड़कर  झोपड़ी में घुसा और अपनी मांँ को पुकारने लगा। उसके पीछे पीछे श्रीमान भी झोपड़ी के अंदर घूस चुके थे। बेटे की आवाज सुनकर मांँ के मुंँह से सिर्फ 'बे...' शब्द निकल कर रह गए। उसके दुर्बल हाथ बेटे की ओर बढ़े ही थे कि झटक से उसका हाथ नीचे गिर पड़ा और उसने अपने प्राण त्याग दिए। जादूगर अपनी मांँ से लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगा। जिसको देख श्रीमान स्थिर रह गए और दुनिया मानो जादू की तरह उनकी आंँखों के चारों ओर नित्य करने लगे।



(ङ)  सुंदर श्याम को अपने घर आने का  निमंत्रण देते हुए कवयित्री ने उनसे क्या-क्या कहा है ?

उत्तर: सुंदर श्याम को अपने घर आने का आमंत्रण देते हो कवयित्री रहती है कि वह श्याम के इंतजार में बैठी बैठी अपनी सुध-बुध खो चुकी है। उनके विरह में पके पान की तरह पीली पड़ चुकी है। उनका ध्यान तो केवल उन्हीं पर है। उसे और कोई दूसरे की आस नहीं। इसीलिए मीराँबाई का निवेदन है कि हे प्रभु गिरिधर आप जल्दी आकर मुझसे मिले और मेरी मान की रक्षा करें।



3. वाख्या

(क) "जाति न पूछो साधु की..... पड़ा रहन दो म्यान।।"


उत्तर: संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत कबीरदास जी द्वारा रचित 'साखी' नामक कविता से लिया गया है।


प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में साधु का ज्ञान उसके धर्म या जाति से नहीं होता उसका वर्णन किया गया है।


वाख्या- इन पंक्तियों के जरिए कबीरदास संदेश देना चाहते हैं कि ज्ञान देने वाले साधु को कभी जाति नहीं पूछना चाहिए। चाहे वह किसी जाति का हो या किसी भी धर्म का। अगर उसमे सार्थक ज्ञान देने योग्य ज्ञान है तो उस ज्ञान को बटोर लेना चाहिए। अर्थात ज्ञान का महत्व प्रदान करने वाले से नहीं होती बल्कि उसके अंदर के सर से होती है। ठीक उसी प्रकार जैसे तलवार का मोल उसकी धार से होता है ना की उसकी म्यान से। म्यान कैसी भी हो आखिर तलवार की धार से ही उसकी कीमत देखी जाती है।




(ख) पर जब भी तुम

अपने पुरुषार्थ-पराजित स्वत्व से मुझे पुकारते हो तब मैं अपने ग्राम्य देवत्व के साथ चिन्मयी शक्ति हो जाती हूंँ।


उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत नरेश मेहता जी द्वारा रचित 'मृत्तिका' नामक कविता से लिया गया है।


प्रसंग: मिट्टी किस प्रकार प्रतिमा का रूप ले लेती है इसका वर्णन किया गया है।


व्याख्या: मनुष्य जब अपने अहंकार को त्याग कर मिट्टी को एक प्रतिमा का रूप देकर उसे पूजता है, तो वह मिट्टी उस मनुष्य के लिए ईश्वर का रूप ले लेती है। तथा मिट्टी कहती है कि जब भी मनुष्य अपने पुरुषार्थ से उसे सर्वोच्च शक्ति का रूप देकर पुकारते हैं, तो मिट्टी ग्राम वासियों के लिए देवता बन जाती है।



(ग) "मैं तो चरण लगी....... चरण- कमल बलिहार।"


उत्तर: संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत मीराँबाई द्वारा रचित 'पद-त्रय' नामक कविता से लिया गया है।


प्रसंग- इन पंक्तियों में कृष्ण के प्रति कवयित्री का जो अपार प्रेम है उसका वर्णन है।


वाख्या- कवयित्री मीराँबाई अपने आराध्य प्रभु कृष्णा गोपाल के चरण में आ गई है। पहले जब कृष्ण के प्रेम में पड़ी थी तब उसे कोई नहीं जानता था। पर आज सारे संसार को इस बात का पता चल गया है। इसलिए वह अपने प्रभु कृष्ण से निवेदन कर रही है कि कृपा करके उन्हें दर्शन दे। उनकी लाज रखें। वह तो गिरिधर के चरण-कमलों में अपने को न्योछावर कर चुकी है।



4. छोटे जादूगर की कहानी से तुम्हें कौन सी प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
छोटे जादूगर कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि जीवन में आर्थिक विपन्नता और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानना चाहिए। वरन उससे सामना करके अपने को प्रतिष्ठित करना चाहिए। परिश्रम से चरित्र बनता है। लड़का ही इसका उदाहरण। हमे भी छोटे जादूगर के तरह मधुर व्यवहार, कुशलता से दूसरों को आकर्षित करने के कोशिश करना चाहिए। सच्चा कार्यों में हमे गर्व करना सीखना चाहिए। जिस प्रकार छोटे जादूगर ने किया। उसके बाप देश के लिए जेल में है। इसमें वह गर्व करते है। हमे भी उसी से स्वाभिमानी होना चाहिए। मातृ के प्रति जो कर्तव्य हमे भी पालन करना चाहिए। लड़का इसका उदाहरण होकर हमें शिक्षा देते हैं।


5. लेखक के अनुसार कौन सी ईंट अधिक धन्य है ?

उत्तर: लेखक के अनुसार वह ईंट जो इमारत को मजबूत करने और बाकी ईंटो को आसमान छूने का मौका देते हुए  खुद जमीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ जाती है और खुद को दूसरों के लिए बलिदान कर देती है, वह ईंट धन्य है।


व्याकरण भाग


1. निम्नलिखित शब्दों का विपरीत शब्द लिखो

    निर्जीव, प्रकाश, मान, पाप


उत्तर:  निर्जीव- सजीव

        प्रकाश- अन्धकार, तम

        मान - अपमान

        पाप - पुण्य


2. निम्नालिखत उपसर्ग से एक-एक शब्द बनाओ

   अ, अप, दु, नि

उत्तर: 

अ उपसर्ग से शब्द – अछूता, अथाह, अटल

अप उपसर्ग से शब्द- अपमान, अपुन, अपवित्र

दु उपसर्ग से शब्द– दुबला, दुकाल

नि उपसर्ग से शब्द – निखरा, निकम्मा, निवारण


3. वचन परिवर्तन करो

   बेटा, लड़का

उत्तर: 

बेटा - बेटे

लड़का - लड़के


4. समनार्थकवाले शब्द लिखो

    आँख, आकाश

उत्तर: 

आँख - लोचन, नयन, नेत्र, 

आकाश - आसमान, गगन, अन्तरिक्ष


5. लिंग परिबर्तन करो

    पुस्र्ष, छात्र


उत्तर: पुस्र्ष - स्त्री

       छात्र - छात्रा


6. समय का सदुपयोग निबंध


पृथ्वी पर समय सबसे कीमती चीज है, इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है अगर यह एक बार चला जाए तो फिर कभी वापस नहीं आता। यह हमेशा आगे की दिशा में आगे बढ़ता है और पीछे नहीं होता है।


इस दुनिया में सब कुछ समय पर निर्भर करता है, समय से पहले कुछ भी नहीं होता है, अगर हमारे पास समय नहीं है तो कुछ समय के लिए कुछ भी करना आवश्यक है।


समय हम सभी के लिए अमूल्य है, हमें समय के प्रत्येक छोटे से दूसरे के मूल्य का सम्मान करना चाहिए और इसके महत्व का सम्मान करना चाहिए। हमें जीवन के अंत तक एक पल भी बर्बाद नहीं करना चाहिए। 


इस दुनिया में समय बहुत शक्तिशाली और शक्तिशाली है। यह उस व्यक्ति को ताकत देता है जो कड़ी मेहनत करता है क्योंकि वह आलसी व्यक्ति को नष्ट कर सकता है, यह किसी को कुछ खुशी, खुशी और समृद्धि देता है, हालांकि, यह किसी की भी चीज छीन सकता है।


हमें समय-समय पर नियमितता, निरंतरता और प्रतिबद्धता सीखनी चाहिए। यह बिना रुके लगातार चलता है। हमें जीवन में वास्तविक सफलता प्राप्त करने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए। 


इसके बारे में सही कहा जाता है, "अगर हम समय बर्बाद करते हैं, तो समय हमें और हमारे जीवन को बर्बाद कर देगा।" हमें समय के मूल्य को समझना चाहिए और उसके साथ चलना चाहिए, क्योंकि समय किसी के लिए नहीं रुकता है । समय सभी के लिए मूल्यवान और अमूल्य है, इसलिए हमें समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमें समय का सदुपयोग सकारात्मक तरीके से करना चाहिए।





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